शिक्षा का क्षेत्र बहुत विस्तृत है, या यू कहे की अथाह सागर है जिसमें मानव स्वयं कितना भी डूबना चाहे कम ही है क्योंकि शिक्षा के आयाम नवीन व पुरानी संस्कृति, शिक्षा अर्थात सार्वभौमिक आधार पर दी जानी चाहिए। आज हम शिक्षा के क्षेत्र में एक अमूल परिवर्तन चाहते है जो सम्पूर्ण देश के विकास में सहायक हो और विधार्थी व शिक्षक के बीच की कडी साबित हो सके, गुरू-शिष्य का उदाहरण बन सके।

ANIL KUMAR

मैं यही सोचती हू और छात्रों से नवीन शिक्षापद्वति की ओर अग्रसर होने को कहती हूँ। वक्त की आवाज सुन मैं अपनी मंजिल की और निकल पड़ी शिक्षा के इस ज्ञान को कडी मेहनत और पक्के इरादे के बल पर कदम बढ़ाकर चल पड़ी ज्ञान के निर्मल जल में अंधकार को दूर भगाकर विधार्थियो को अनुशासन व मेहनत की राह दिखाकर उनके जीवन को सही राह दिखाना है सफर तो अभी बहुत बाकी है ।

SANYOGTA YADAV

21 वीं शताब्दी जो हमारी शिक्षा के नवीनतम स्तर से सरोबार होगा व्यकित का विचार केवल छोटा नहीं अपितु विस्तृत क्षेत्र अर्थात सम्पूर्ण विश्व के कोने तक पहुचं पाएगा। विविध सम्प्रेषणों से जुडने वाला माध्यम होगा जिस तरह कम्प्यूटर ने अपनी सर्वोच्च तकनीकी द्वारा कार्यो को बढ़ावा दिया शिक्षा के माध्यम से सभी विषयो में तकनीकी जान डालकर छात्र-छात्राओं को ज्ञानोपार्जन दिये है ।

Mr.Anil Kumar                                                              Mrs.Sanyogta Yadav                                          Mr.Dharamvir Singh                                            Mr.Hanuman Singh

Chairman                                                                           MD                                                                   Principal                                                               Manager